Class 8th science ncert ch-10 (ध्वनि) notes pdf download

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10. ध्वनि

  • ध्वनि- किसी वस्तु के कंपन को ध्वनि कहते हैं। ध्वनि को संचारण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। बिना किसी माध्यम के ध्वनि एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकती है। हवा के अंदर ध्वनि की गति 342 मीटर/सेकंड होती है।

माध्यम तीन प्रकार के होते हैं।

  1. ठोस – इसमें ध्वनि सबसे तेजी से गति करती है। 
  2. द्रव्य – इसमें ध्वनि मध्यम गति से चलती है।
  3. गैस – इसमें ध्वनि सबसे धीमी गति से चलती हैं।

  • मनुष्य द्वारा उत्पन्न ध्वनि

मानवों में ध्वनि कंठ द्वारा उत्पन्न होती है। मानव वाकयंत्र दो वाक् तंतु की तानीत झिल्ली होती है।

  • हम ध्वनि कैसे सुनते हैं-

हम ध्वनि अपने कानों से सुनते हैं। हमारा कान के बाहरी हिस्से में एक तानित झिल्ली होती है जिसे हम कान का पर्दा कहते हैं। जब वह पर्दा हिलता है उस समय जो कंपन पैदा होता है वह कंपन कान के आंतरिक भाग तक जाता है। जो तंत्रिका तंत्र के द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है। मस्तिष्क से समझता है और परिणाम स्वरूप हमें सुनाई देता है।

  • आवृत्ति- प्रति सेकेंड होने वाले कंपनियों या दोलनो की संख्या आवृत्ति कहलाती है। आवृत्ति को हर्ट्ज़ में मापा जाता है। आवृत्ति के बढ़ने पर ध्वनि की प्रबलता बढ़ जाती हैं। ध्वनि की प्रबलता को डेसिबेल में मापा जाता है। 80db से अधिक प्रबल ध्वनि शोर कष्टदायक होता है।

हम मनुष्य 20 हर्ट्ज़ से 20000 हर्ट्ज़ की ध्वनि सुन सकते हैं। इससे कम हम नहीं सुन सकते और इससे ज्यादा भी हम नहीं सुन सकते।

  • शोर- वह ध्वनि जिसे हम सुनना पसंद नहीं करते शोर कहलाती है। उदाहरण के लिए फैक्ट्री से निकलने वाली ध्वनि शोर होती है। कभी-कभी संगीत भी शोर बन जाता है अगर हमें वह पसंद नहीं है और हम उसे सुनना नहीं चाहते। ज्यादा देर तक कोई भी आवाज सुनने से हमारे सिर में दर्द होने लगता है। इसे हम शोर प्रदूषण कहते हैं। 
  • संगीत- वह ध्वनि जिसे हम सुनना पसंद करते हैं संगीत कहलाती हैं।


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