1. भाषा, लिपि, व्याकरण और हिंदी (Language, Script, Grammar and Hindi)
भाषा (Language)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसलिए वह अपनी बातें दूसरों तक पहुँचाना चाहता है और दूसरों की बात स्वयं समझना चाहता है। मनुष्य द्वारा विचारों, सूचनाओं और भावों का आदान-प्रदान संप्रेषण कहलाता है। एक वृक्ष के नीचे एक मनुष्य उदास बैठा है। दूसरा
उसे देखता है और पूछता है-
"क्यों प्रसन्न हो भाई?"
"आज मेरे बेटे का क्रिकेट टीम में चयन हुआ है।"
"वह कौन सी कक्षा में है।"
"वह दसवीं कक्षा में है।"
यहाँ दो व्यक्तियों के विचारों का आदान-प्रदान प्रश्न और उत्तर के रूप में हुआ। किस माध्यम से हुआ? वह माध्यम है-भाषा। ध्यान रहे कि हाथ, आँख या अन्य संकेतों से समझाई गई बात भाषा नहीं होती। किसी बैठे हुए को उँगली से संकेत किया और वह खड़ा हो गया। हाथ हिलाकर अपने पास आने का संकेत किया और वह पास आ गया। इन संकेतों में बातों का आदान-प्रदान हुआ, लेकिन यह भाषा नहीं है।
भाषा बोलकर या लिखकर शब्दों के रूप में प्रकट की जाने वाली अभिव्यक्ति है। दूसरे शब्दों में, भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने विचारों और भावों को बोलकर या लिखकर शब्दों के रूप में प्रकट करता है।
भाषा- सार्थक ध्वनियों का वह समूह है जिसके माध्यम से हम अपने विचार दूसरों के समक्ष रख सकते हैं और उनके विचारों से अवगत हो सकते हैं।
भाषा शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की 'भाष्' धातु से हुई है, जिसका अर्थ है- स्पष्ट वाणी। मानव मुख से उच्चरित ध्वनि संकेत व्यवस्था में बँधे होते हैं। यह व्यवस्था ध्वनियों के उच्चारण शब्दों एवं पदों के निर्माण तथा वाक्यों की रचना आदि में मिलती है। इस प्रकार भाषा में दो बातें सम्मिलित होती हैं- वाणी अर्थात् ध्वनि तथा अर्थ। वाणी और अर्थ दोनों एक-दूसरे से भिन्न हैं। केवल वाणी में कोई अर्थ नहीं होता, जबकि अर्थ वाणी के साथ मिलकर एक सार्थक शब्द बनाता है।
विश्व के अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी का स्थान तीसरा है। भारत में संविधान द्वारा 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, जो निम्नलिखित हैं-(
(1) हिंदी (2) उर्दू (3) पंजाबी (4) संस्कृत (5) मराठी (6) उड़िया (7) गुजराती (8) असमिया (9) तमिल (10) तेलुगू (11) सिंधी (12) कन्नड़ (13) बांग्ला
(14) मणिपुरी (15) कोंकणी (16) नेपाली (17) मलयालम (18) कश्मीरी
(19) बोड़ो (20) डोगरी (21) मैथिल (22) संथाली।
भाषा के रूप
भाषा के माध्यम से मनुष्य केवल बोलकर ही नहीं, लिखकर भी अपने विचार दूसरों तक पहुँचाता है। इस प्रकार भाषा के दो रूप हैं-
- मौखिक भाषा (Oral Language)
- लिखित भाषा (Written Language)
(क) भाषा मूलतः ध्वनि संकेतों की एक व्यवस्था है।
(ख) यह मानव-मुख से निसृत वाणी है।
(ग) यह विचारों के आदान-प्रदान का एक सामाजिक साधन है।
(घ) इसके शब्दों के अर्थ प्रायः रूढ़ होते हैं।
विश्व में अनेक भाषाएँ बोली और समझी जाती हैं। संसार में लगभग 3000 भाषाएँ हैं, जिन्हें 12 भाषा-परिवारों में बाँटा गया है। इनसे भारोपीय, द्रविड़, तिब्बत-बर्मी और आग्नेय परिवार प्रमुख हैं। विश्व की प्रमुख भाषाएँ हैं- अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, जापानी, चीनी, संस्कृत, हिंदी आदि।
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| कुछ प्रमुख भाषाओं को लिपियाँ इस प्रकार प्रकार हैं |
यूँ तो किसी भी भाषा को किसी भी लिपि में लिखा जा सकता है; जैसे -Chhota Chetan – छोटा चेतन, This is my book-दिस इज माई बुक।
व्याकरण (Grammar)
व्याकरण वह शास्त्र है जिससे किसी भाषा के शुद्ध बोलने, लिखने, पढ़ने और समझने के नियमों का ज्ञान होता है। भाषा की एक व्यवस्था होती है। भाषा के विभिन्न अंग परस्पर नियमबद्ध रहते हैं। प्रत्येक भाषा का अपना व्याकरण होता है। व्याकरण भाषा को व्यवस्थित रूप प्रदान करता है। इसी से भाषा का मानक रूप स्थिर होता है। व्याकरण के नियमों के आधार पर ही भाषा का शुद्ध एवं मानक रूप निर्धारित होता है।
हिंदी (Hindi)
हिंदी भारतीय-आर्य भाषा-परिवार की भाषा है। संस्कृत भाषा से आरंभ होकर पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आदि सोपानों से होते हुए हिंदी आज समूचे भारत की संपर्क भाषा बन गई है। अब हिंदी का विकास राष्ट्रभाषा, राजभाषा और अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हो रहा है। भारत में हिंदी का अध्ययन-अध्यापन मातृभाषा, प्रथम भाषा, द्वितीय भाषा आदि रूपों में हो रहा है।
हिंदी का क्षेत्र (Hindi Region)
14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत के संविधान में राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों और दिल्ली एवं अंडमान-निकोबार संघ राज्य क्षेत्रों में हिंदी शासन और शिक्षा की भाषा है। बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब की संपर्क भाषा हिंदी है। यद्यपि दक्षिण के राज्यों-तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ भाषा (द्रविड़ परिवार की) प्रयोग में लाई जाती हैं, पर वहाँ भी हिंदी बहुतायत में बोली और समझी जाती है। हिंदी भारत के बाहर भी अनेक देशों में बोली जाती है, जिनमें बर्मा, श्रीलंका, मारिशस, त्रिनिदाद, फीजी, मलाया, सूरीनाम तथा दक्षिण और पूर्वी अफ्रीका प्रमुख हैं।
हिंदी की बोलियाँ (Dialects of Hindi)
देश के इतने विशाल-भू भाग की भाषा होने के कारण हिंदी की अनेक बोलियाँ हैं-
पश्चिम में- हरियाणवी, खड़ी बोली, ब्रजभाषा, बुंदेली और राजस्थानी।
पूर्व में- अवधी, छत्तीसगढ़ी, भोजपुरी और मैथिली।
उत्तर में- गढ़वाली और कुमाऊँनी।
दक्षिण में- दक्खिनी हिंदी।
विशिष्ट रचनाओं की भाषा
बोलियों में भी पर्याप्त साहित्य की रचना हुई है-
ब्रजभाषा में- सूरसागर (सूरदास), विनय-पत्रिका (तुलसीदास)।
अवधी में- रामचरितमानस (तुलसीदास), पद्मावत (जायसी)।
खड़ी बोली में- साकेत (मैथिलीशरण गुप्त), प्रिय प्रवास (हरिऔध), कामायनी (जयशंकर प्रसाद)
मैथिली में- पदावली (विद्यापति)।
साहित्य (Literature)
प्रत्येक भाषा में ज्ञान के भिन्न-भिन्न विषयों का भंडार है। विद्वानों के अनुसार साहित्य ज्ञान का संचित कोष है। इसके अंतर्गत युगों से प्राप्त ज्ञान को एकत्रित किया जाता रहा है। इसलिए भाषा के विस्तृत ज्ञान को साहित्य कहा जाता है।
हिंदी साहित्य का संसार में विशिष्ट स्थान है। 10वीं-11वीं शताब्दी से लेकर आधुनिक शताब्दी तक साहित्य की सुदीर्घ परंपरा रही है। प्रारंभ में सिद्ध साहित्य, संत साहित्य, सूफी साहित्य, कृष्ण और राम भक्ति काव्य, वीर काव्य तथा श्रृंगार काव्य ने हिंदी को समृद्ध किया। आधुनिक काल में सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन के फलस्वरूप साहित्य की विधाएँ भी बदलीं और भाषा भी। आधुनिक काल से पहले का साहित्य अधिकांशतः पद्य में है जिसकी भाषा मुख्यतः अपभ्रंश, प्राकृत, ब्रजभाषा और अवधी है। आधुनिक काल में अधिकांश साहित्य गद्य में लिखा जाने लगा और भाषा भी हिंदी हो गई। यहाँ तक कि पद्य भी छंद से मुक्त होकर गद्यात्मक हो गए।
मानक हिंदी (Standard Hindi)
इतने विशाल भू-भाग की भाषा होने के कारण हिंदी के स्वरूप में विविधता का आना स्वाभाविक ही है। भाषा में एकरूपता एवं अनुशासन लाने के लिए उसके मानक रूप (Standard form) की आवश्यकता होती है।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय, भारत सरकार ने देवनागरी लिपि के स्वरूप का मानकीकरण इस प्रकार किया है-
स्वर- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
कुछ व्यंजनों का परिवर्तित मानक रूप- ख, छ, झ, ध, भा
वर्तनी में परिवर्तन- लट्टू, ब्रह्मा, विद्या, विद्वान।
मात्राओं का सही स्थान- द्वितीय, हड्डियाँ, बुद्धिमान।
पंचम वर्ण बिंदु से दर्शाया जाए- चंपक, मुंबई, झंडा।
हिंदी व्याकरण के विभाग
हिंदी की भाषिक व्यवस्था के प्रमुख रूप से तीन स्तर हैं-
1. वर्ण-व्यवस्था
2. शब्द-व्यवस्था
(क) शब्द-स्तर पर
(ख) पद-स्तर पर
3. वाक्य-व्यवस्था
कंप्यूटर और हिंदी (Computer and Hindi)
आजकल कंप्यूटर पर हिंदी का खूब प्रयोग किया जा रहा है। हिंदी की अनेक वेबसाइट हैं। इंटरनेट का प्रयोग निरंतर बढ़ता चला जा रहा है। हिंदी की नेट पत्रकारिता ‘वेब दुनिया’ से शुरू हुई। इंदौर की ‘नयी दुनिया समूह’ से शुरू हुआ यह पोर्टल हिंदी का संपूर्ण पोर्टल है। इसके साथ हिंदी के अखबारों ने भी विश्वजाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी। अब जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान, भास्कर, नवभारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा आदि अखबारों के वेब संस्करण उपलब्ध हैं। हिंदी की सर्वश्रेष्ठ साइट बीबीसी की है। साहित्यिक पत्रिकाएँ भी वेब पर चल रही हैं। अब लोग हिंदी में ई-मेल का प्रयोग भी करने लगे हैं। आज हिंदी पूरी तरह कंप्यूटर की भाषा बन गई है।

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