Class 7th science ncert ch-3 (ऊष्मा) notes pdf download

  
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3. ऊष्मा

अध्याय -समीक्षा

  • किसी वस्तु की उष्णता (गर्मी) की विश्वसनीय माप उसके ताप से की जाती है।
  •  ताप मापने के लिए उपयोग की जाने वाली युक्ति को तापमापी (थर्मामीटर) कहते हैं।
  • जिस तापमापी से हम अपने शरीर के ताप को मापते हैं उसे डॉक्टरी थर्मामीटर कहते हैं।
  • डॉक्टरी थर्मामीटर में एक लंबी, बारीक तथा एक समान व्यास की काँच की नली होती है। इसके एक सिरे पर एक बल्ब होता है। बल्ब में पारा भरा होता है। बल्ब के बाहर नली में पारे की एक पतली चमकीली धारी देखी जा सकती है। 
  • थर्मामीटर पर आपको ताप मापने का एक मापक्रम (स्केल) भी दिखाई देगा। उपयोग किए जाने वाला यह मापक्रम सेल्सियस स्केल है, जिसे °C द्वारा दर्शाते हैं।
  • डॉक्टरी थर्मामीटर से हम 35°C से 42°C तक के ताप ही माप सकते हैं अर्थात डॉक्टरी थर्मामीटर में सेल्सियस तापमान कि सीमा/परिसर 35 °C से 42°C तक होती है।
  • तापमान का अंतर्राष्ट्रीय मानक (S.I.) मात्रक केल्विन (Kelvin) है। कही कही तापमान फारेनहाईट में मापा जाता है, भारत में शरीर का ताप बुखार के समय डॉक्टरी थर्मामीटर से फारेनहाईट में मापा जाता है । 
  • मानव शरीर का सामान्य ताप 37 °C है। 
  • समान्य ताप स्वस्थ्य व्यक्तियों के विशाल समूह के शरीर का औसत ताप है। प्रयोगशाला तापमापी का परिसर प्रायः 10°C से 110°C होता है। 
  • डॉक्टरी थर्मामीटर के बल्ब के पास एक विभंग होता है जो पारे के तल को अपने आप निचे गिरने से रोकता है। 
  • आजकल तापमान मापने के लिए अंकीय तापमापी (digital thermometre) का उपयोग हो रहा है इसके टूटने का खतरा कम् रहता है।
  • ऊष्मा सदैव गर्म वस्तु से अपेक्षाकृत ठंडी वस्तु की ओर प्रवाहित होती है।
  • ऊष्मा का स्थानान्तरणः जब ऊष्मा एक स्थान से दुसरे स्थान जाती है तो इसे ऊष्मा का स्थानांतरण कहते हैं। 
  • ऊष्मा के स्थानांतरण कि तीन विधियाँ हैं (i) चालन (ii) संवहन (iii) विकिरण 
  • वह प्रक्रम जिसमें ऊष्मा किसी वस्तु के गर्म सिरे से ठंडे सिरे की ओर स्थानांतरित होती है, चालन कहलाता है। ठोसों में ऊष्मा प्रायः चालन के प्रक्रम द्वारा स्थानांतरित होती है। 
  • जो पदार्थ अपने से होकर ऊष्मा को आसानी से जाने देते हैं उन्हें ऊष्मा का चालक कहते हैं। इनके उदाहरण हैं, ऐमिनियम, आयरन (लोहा) तथा कॉपर (तॉबा)। 
  • जो पदार्थ अपने से होकर ऊष्मा को आसानी से नहीं जाने देते, उन्हें ऊष्मा का कुचालक कहते हैं, जैसे प्लास्टिक लकड़ी आदि । 
  • तरल पदार्थों में ऊष्मा के स्थानांतरण कि विधि को संवहन कहते है। 
  • समुद्र की ओर से आने वाली वायु को समुद्र समीर कहते हैं। 
  • समुद्र का जल, स्थल की अपेक्षा धीमी गति से ठंडा होता है। इसलिए, स्थल की ओर से 
  • ठंडी वायु समुद्र की ओर बहती है। इसे थल समीर कहते हैं।
  • ऊष्मा स्थानांतरण कि वह विधि जिसमें ऊष्मा के गमन के लिए किसी माध्यम कि आवश्यकता नहीं होती विकिरण कहलाता है। सूर्य से हम तक ऊष्मा विकिरण प्रक्रम के द्वारा आता है। 
  • विकिरण द्वारा ऊष्मा के स्थानांतरण में किसी माध्यम जैसे वायु अथवा जल की आवश्यकता नहीं होती।
  • माध्यम विदयमान हो या न हो, विकिरण दवारा ऊष्मा का स्थानांतरण हो सकता है। जब हम किसी तापक (हीटर) के सामने बैठते हैं, तो हमें इसी प्रक्रम द्वारा ऊष्मा प्राप्त होती है।
  • सभी गर्म पिंड विकिरणों के रूप में ऊष्मा विकिरित करते हैं। जब ये ऊष्मा विकिरण किसी अन्य वस्तु से टकराते हैं, तो इनका कुछ भाग परावर्तित हो जाता है, कुछ भाग अवशोषित हो जाता है तथा कुछ भाग परागत हो सकता है।
  •  ऊष्मा के अवशोषित भाग के कारण वस्तु का ताप बढ़ जाता है।
  • गहरे रंग के पृष्ठ अपेक्षाकृत अधिक ऊष्मा अवशोषित करते हैं। इसलिए, सर्दियों में गहरे रंग के वस्त्र पहनना हमें सुखद लगता है।
  •  हल्के रंग के कपड़े ऊष्मीय विकिरणों के अधिकांश भाग को परावर्तित कर देते हैं। इसलिए, गर्मियों में हमें हल्के रंग के वस्त्र अधिक अरामदेह लगते हैं।
  •  ऊन ऊष्मा-रोधी है। इसके अतिरिक्त, ऊन के रेशों के बीच में वायु फंसी (ट्रैप) रहती है।


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