13. प्रकाश
- प्रकाश- प्रकाश कोई वस्तु नहीं है। हमें प्रकाश सूर्य से प्राप्त होता है। प्रकाश की वजह से ही हम वस्तुएं देख पाते हैं। जब कोई भी प्रकाश की किरण किसी वस्तु पर टकराती है उस समय वह किरण उससे परावर्तित हो जाती है और हमारी आंखों तक पहुंचती है। इन्हीं परावर्तित किरणों की वजह से हमें कोई वस्तु दिखाई देती है। उदाहरण के लिए आप एक अंधेरे कमरे में किसी भी वस्तु को नहीं देख सकते हैं। जहां पर प्रकाश की एक भी किरण ना हो।
- परावर्तन के नियम-
किसी भी वस्तु से टकराकर वापस आने वाले प्रकाश को परावर्तन कहते हैं। परावर्तन के 2 नियम है।
- आपतन कोण हमेशा परावर्तन कोण के बराबर होता है।
- आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलंब सब एक ही तल में होते हैं।
परावर्तन दो तरह का होता है।
- नियमित परावर्तन- इस तरह के परावर्तन के अंदर प्रकाश की किरण एक समतल जगह से टकराती । और किरण टकराकर समानांतर जाती हैं।
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| नियमित परावर्तन |
• विसरित परावर्तन- इस तरह के परावर्तन के अंदर प्रकाश की किरण एक उबड़ खाबड़ जगह से टकराती है और अलग-अलग दिशाओं में फैल जाती है।
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| विसरित परावर्तन |
जब किसी वस्तु की छवि हमें दिखाई पड़ती है। उसे हम प्रतिबिंब कहते हैं।
दर्पण के अंदर नियमित परावर्तन होता है। दर्पण में हमारा प्रतिबिंब आभासी, दर्पण के पीछे तथा हमारे आकार का बनता है। दर्पण के अंदर हमारा दाया भाग बाया और बाया भाग दाया बन जाता है।
- बहु प्रतिबिंब- जब एक वस्तु दो या दो से अधिक बार परावर्तित होती है तो वह अपने बहुत सारे प्रतिबिंब बना लेती है। बहुमूर्तिदर्शी में भी बहु प्रतिबिंब की मदद से नए-नए डिजाइन बनाए जाते हैं। बहुमूर्तिदर्शी में तीन दर्पण त्रिकोण की आकार में लगा दिए जाते हैं। जिससे जब प्रकाश की किरण उसके अंदर आती है तो वह बहुत अधिक बार परावर्तित होती है और एक नया आकार हमें देती है। बहुमूर्तिदर्शी को कैलिडोस्कोप भी कहते हैं।
सूर्य का प्रकाश बहुत सारे रंगों का मिश्रण होता है। बहुत सारे रंग मिलकर सूर्य के प्रकाश को सफेद रंग प्रदान करते हैं। अगर हम सूर्य के किरण प्रिज्म में से निकालते हैं तो यह किरण सात अलग-अलग रंगों में टूट जाती है। जिसे हम विबग्योर कहते हैं। बारिश के तुरंत पश्चात दिखने वाले इंद्रधनुष के सात रंग सूर्य के प्रकाश के अलग अलग रंग होने की वजह से बनते हैं।
• हमारी आंख का चित्र
- लेंस- लेंस हमारी आंख पर पड़ने वाली किरणों को रेटिना तक पहुंचाने का कार्य करता है। रेटिना- यह हमें किसी वस्तु के आकार व आकृति को देखने में मदद करता है। जब लेंस प्रकाश की किरणों को केंद्रित करके रेटिना तक पहुंचाता है तो रेटिना उसे तंत्रिका तंत्र के द्वारा हमारे मस्तिष्क तक भेजता है।
- पक्ष्माभा पेशी – यह हमारे लेंस को संतुलित रखने का कार्य करता है।
- पुतली- यह हमारी आंख में आने वाली रोशनी को नियंत्रित करता है। कम प्रकाश में हमारी पुतली बड़ी हो जाती है और अधिक प्रकाश में छोटी हो जाती है। ताकि आंख को कोई हानि ना पहुंचे।
- कॉर्निया- यह हमारे आंख का बाहरी सफेद हिस्सा होता है। यह हमारी आंख को बाहरी वातावरण से सुरक्षित रखने का कार्य करता है। हमारी आंख का सफेद हिस्सा कार्निया है।
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| हमारी आंख का चित्र |
- नेत्रों की देखभाल
- कभी भी तेज प्रकाश की तरफ ना देखें
- अपनी आंखों को ताजे पानी से धोएं।
- कचरा जाने पर आंखों को अपने हाथों से ना रगड़े। अगर आपको चश्मे लगे हैं तो उचित चश्मा का प्रयोग करें।
- पढ़ने वाली सामग्री को 25 सेंटीमीटर दूर से देखे।
- ब्रेल पण्ति – इस पद्धति के द्वारा अंधे लोगों को पढ़ना सिखाया जाता है।
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